धान रकबा में कमी पर चिंता, वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा देने के निर्देश
अम्बिकापुर, संचालक कृषि श्री राहुल देव की अध्यक्षता में सोमवार को जिला पंचायत सरगुजा के सभाकक्ष में खरीफ 2025 की उर्वरक व्यवस्था एवं विभागीय योजनाओं की प्रगति के संबंध में संभागस्तरीय बैठक आयोजित हुई।
बैठक में सरगुजा सम्भाग के सरगुजा,
कोरिया, एमसीएबी, बलरामपुर,
जशपुर और सूरजपुर जिलों के अधिकारी उपस्थित रहे।
🌾 धान उत्पादन व रकबे में कमी पर चर्चा
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बैठक में जिलेवार धान उत्पादन की समीक्षा की गई।
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धान रकबे में कमी के कारणों पर विस्तार
से चर्चा हुई।
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श्री देव ने किसानों को दलहन-तिलहन,
लघु धान्य और अन्य फसलों की ओर प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए।
📊 एग्रिस्टेक और पंजीयन पर जोर
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धान खरीदी में एग्रिस्टेक की जवाबदेही कृषि विभाग की बताई गई।
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सभी आरईओ को फील्ड में सक्रिय रहने और किसानों का समय पर पंजीयन कराने के निर्देश दिए।
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किसानों को पंजीयन में किसी भी प्रकार
की समस्या न हो, इसका विशेष ध्यान रखने को कहा गया।
🚜 उर्वरक वितरण और निगरानी
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डीसीएस सर्वे में कृषि व राजस्व विभाग की संयुक्त टीम को तालमेल से काम करने कहा गया।
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उर्वरक वितरण की समीक्षा करते हुए
निर्देश दिया कि किसानों को समय पर, उचित दर पर और पर्याप्त मात्रा में खाद-बीज मिले।
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यूरिया खाद उठाव का सत्यापन कराने और अवैध बिक्री करने वालों पर कार्रवाई करने को कहा गया।
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अवैध भण्डारण करने वाले दुकानदारों पर लगातार
निरीक्षण व कड़ी कार्रवाई के
निर्देश दिए गए।
⚠️ अधिकारियों को चेतावनी
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उर्वरक निरीक्षकों को फटकार लगाते हुए
कहा गया कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
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अपने दायित्वों का
गंभीरतापूर्वक
निर्वहन करें, अन्यथा कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
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अधिकारियों को नियमित फील्ड
विजिट और
किसानों से निरंतर संपर्क में रहने के निर्देश।
🌱 विभागीय योजनाओं की समीक्षा
बैठक में निम्न योजनाओं की प्रगति की
समीक्षा और दिशा-निर्देश दिए गए:
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बीज उत्पादन कार्यक्रम
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फसल प्रदर्शन
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नेशनल
मिशन ऑन एडिबल आयल-ऑयलसीड्स
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परम्परागत
कृषि विकास योजना
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जैविक
खेती मिशन
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आत्मा
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राष्ट्रीय
कृषि विकास योजना
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राष्ट्रीय
खाद्य सुरक्षा मिशन
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अक्ति
बीज संवर्धन योजना
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पीएम
किसान योजना
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लघुतम
सिंचाई तालाब
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आरएडी
योजना
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नेशनल
मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग
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मृदा
स्वास्थ्य कार्ड योजना
📌 बैठक का मुख्य संदेश यह रहा कि धान पर अत्यधिक निर्भरता कम कर किसान वैकल्पिक फसलों की ओर बढ़ें, जिससे उत्पादन व आय दोनों सुरक्षित हो सकें और उर्वरक व्यवस्था पारदर्शी बनी रहे।