दिल्ली/दुबई, जुलाई 2025:
क्या भारत का टैलेंट अब UAE की ओर रुख करने वाला है? क्या 23 लाख में मिलने वाला 'गोल्डन वीजा' देश के मिडिल क्लास प्रोफेशनल्स के लिए सपनों की चाबी है या फिर एक सुनहरी जाल (Golden Trap)? इस सवाल ने सोशल मीडिया से लेकर पॉलिसी सर्कल तक हलचल मचा दी है।
आखिर क्या है यह गोल्डन वीजा?
गोल्डन वीजा की शुरुआत यूरोप से हुई थी। सबसे पहले स्पेन, पुर्तगाल, ग्रीस जैसे देश इसे लेकर आए थे। आर्थिक संकट से जूझ रही सरकारों ने विदेशी निवेश के बदले लंबी अवधि के रेजिडेंस वीजा देना शुरू किया। हालांकि शुरुआत में यह अल्ट्रा रिच के लिए था, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ गया है।
यूएई ने 2019 में इस नीति को नया रूप दिया। यहां टैलेंट, टेक्नोलॉजी और ग्लोबल नॉलेज बेस को अहमियत दी गई। अब UAE ने इसे और भी विस्तृत करते हुए 2025 में एक नया पायलट प्रोग्राम लॉन्च किया है, जो खासतौर पर भारत और बांग्लादेश के मिडिल क्लास टैलेंट को टारगेट कर रहा है।
कौन ले सकता है गोल्डन वीजा?
अब यह वीजा केवल अरबपति निवेशकों तक सीमित नहीं है। इसके लिए योग्य माने जा रहे हैं:
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शिक्षक, प्रिंसिपल, प्रोफेसर
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वैज्ञानिक, शोधकर्ता
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अनुभवी नर्स व हेल्थ वर्कर
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कॉर्पोरेट एग्जीक्यूटिव
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डिजिटल क्रिएटर्स (YouTubers, Podcasters)
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ई-स्पोर्ट्स प्रोफेशनल्स (25 वर्ष से ऊपर)
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मैरिटाइम सेक्टर से जुड़े प्रोफेशनल्स (जैसे पोर्ट मैनेजर, यॉट ओनर)
कैसे मिलेगा वीजा?
यूएई सरकार के अनुसार, यह वीजा "पे-टू-स्टे" स्कीम नहीं है।
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₹23 लाख (AED 100,000) की फीस केवल अंतिम स्क्रीनिंग और नॉमिनेशन के बाद ली जाती है।
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कोई भी उम्मीदवार सीधे आवेदन नहीं कर सकता। मान्यता प्राप्त कंसल्टेंसी के जरिए पहले स्क्रीनिंग, फिर UAE अधिकारियों की तरफ से नॉमिनेशन होता है।
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भारत में ऑनलाइन पोर्टल और कॉल सेंटर के माध्यम से आवेदन की सुविधा है।
पुराने वीजा से कैसे अलग?
पहले गोल्डन वीजा के लिए कम-से-कम 4.7 करोड़ की प्रॉपर्टी निवेश जरूरी था। अब काबिलियत ही सबसे बड़ी योग्यता है।
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निवेश की शर्त हटा दी गई है
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वीजा के साथ लंबी अवधि की रेजिडेंसी, फ्री मूवमेंट, फ्री जॉब शिफ्टिंग, फैमिली और स्टाफ को साथ ले जाने की आज़ादी मिलती है।
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यह वीजा नौकरी छूटने या प्रॉपर्टी बिकने पर भी वैध रहता है।
भारत के लिए क्या हैं इसके मायने?
यूएई की यह नीति भारत जैसे देशों के लिए एक दोधारी तलवार जैसी है।
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फायदा: ग्लोबल एक्सपोजर, टैक्स फ्री इनकम, बेहतर लाइफ स्टाइल।
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नुकसान: टैलेंटेड युवाओं और प्रोफेशनल्स का 'ब्रेन ड्रेन'।
विशेष रूप से जब यह वीजा पायलट प्रोजेक्ट के तहत भारत और बांग्लादेश तक सीमित है, और केवल 5000 स्लॉट्स खोले गए हैं, तो साफ है कि यूएई "बेस्ट ऑफ बेस्ट" प्रोफेशनल्स को टारगेट कर रहा है।
निचोड़:
दुबई का नया 'गोल्डन वीजा' मिडिल क्लास इंडियंस के लिए एक लुभावना ऑफर है – खासतौर पर जब यह लग्जरी, टैक्स छूट और स्थायी रेजिडेंसी के साथ आता है। लेकिन भारत के लिए यह नीति दीर्घकाल में ब्रेन ड्रेन का कारण बन सकती है। अब फैसला टैलेंटेड भारतीयों के हाथ में है – मर्सिडीज खरीदें या देश में रहकर बदलाव लाएं।
लेखक: नवोदय छत्तीसगढ़ | स्रोत: UAE मीडिया रिपोर्ट्स, सरकारी पोर्टल, इंडियन कंसल्टेंसी इनपुट्स
तारीख: 11 जुलाई 2025
शीर्षक: “23 लाख में गोल्डन वीजा: अवसर या चाल?''