मनेंद्रगढ़ से कृष्ण कुंज योजना विवाद पर विशेष रिपोर्ट

दिनांक: 22 जून 2025

स्थान: मनेंद्रगढ़, छत्तीसगढ़


कृष्ण कुंज में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति ज़मीन पर उपेक्षित, प्रशासनिक लापरवाही उजागर मनेंद्रगढ़ -

पूर्ववर्ती सरकार की बहुप्रचारित ‘कृष्ण कुंज’ योजना अब प्रशासनिक अनदेखी और विभागीय लापरवाही का प्रतीक बनती जा रही है। मनेंद्रगढ़ वन परिक्षेत्र कार्यालय में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति कई महीनों से जमीन पर रखी हुई है। न तो इसकी स्थापना की जा रही है, न ही संबंधित अधिकारी इसे लेकर कोई जवाबदेही दिखा रहे हैं।

कृष्ण कुंज योजना का उद्देश्य था:

  • शहरी प्रदूषण में कमी लाना

  • बच्चों के लिए हरित खेल स्थल उपलब्ध कराना

  • औषधीय पौधों से ग्रामीण चिकित्सा का विस्तार

  • छत्तीसगढ़ी संस्कृति और स्वास्थ्य का समन्वय


किन जब भगवान कृष्ण की मूर्ति ही उपेक्षित पड़ी हो, तो इस योजना की आत्मा ही खोखली प्रतीत होती है। मनेंद्रगढ़ के अलावा झगड़ाखांड, नई लेदरी और खोंगापानी जैसे स्थानों पर भी कृष्ण कुंज विकसित किए गए हैं, लेकिन मूर्ति की उपेक्षा से पूरे प्रयास पर सवाल उठने लगे हैं।


पूर्व विधायक गुलाब कमरो का तीखा हमला

पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने वन विभाग और प्रशासन पर करारा प्रहार करते हुए कहा:

"भाजपा भगवान के नाम पर वोट तो मांगती है, लेकिन उनके आदर्शों का पालन नहीं करती। भगवान कृष्ण की मूर्ति ज़मीन पर फेंक देना आस्था नहीं, सियासत है।"

उन्होंने डीएफओ मनीष कश्यप पर भी गंभीर आरोप लगाए कि:

"जब से मनीष कश्यप मनेंद्रगढ़ में डीएफओ बने हैं, विभाग भ्रष्टाचार का गढ़ बन गया है। ये अधिकारी पेड़ों की अवैध कटाई और तस्करी में व्यस्त हैं, उन्हें भगवान की मूर्ति से क्या लेना?"

कमरो ने मांग की कि यदि वास्तव में आस्था है, तो तत्काल मूर्ति की स्थापना करवाई जाए, अन्यथा यह जनभावनाओं और धार्मिक आस्थाओं का अपमान माना जाएगा।


प्रशासन और सरकार पर उठे सवाल

अब बड़ा सवाल यह है कि:

  • क्या वन विभाग की प्राथमिकताओं में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति का स्थान नहीं?

  • क्या योजनाओं की पवित्रता अफसरशाही की उपेक्षा की बलि चढ़ जाएगी?

  • और क्या राज्य सरकार इस चुप्पी को ‘नवाचार’ मानकर जनता की आस्था के साथ खिलवाड़ को नजरअंदाज करेगी?


जनभावनाओं में आक्रोश, मूर्ति स्थापना की मांग तेज

स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यदि शीघ्र मूर्ति की स्थापना नहीं होती, तो यह मामला जन आंदोलन का रूप ले सकता है। कृष्ण कुंज जैसी सांस्कृतिक योजना को सार्थक बनाने के लिए इसकी आत्मा—भगवान श्रीकृष्ण—को सम्मान मिलना जरूरी है।

➡️ अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक आंखें मूंदे बैठा रहेगा और क्या सरकार इसे गंभीरता से लेकर कोई ठोस कदम उठाएगी?



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