सरगुजा, मई 2025: करजी फार्म्स द्वारा विकसित "ग्राफ्टेड-तरबूज" की तकनीक ने एक बार फिर किसानों के बीच तरबूज की खेती को लोकप्रिय बना दिया है। खासतौर पर बिल्ट जैसी बीमारी से सुरक्षित रहने और रिकॉर्ड उत्पादन देने की क्षमता के चलते यह नई तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
वर्ष 2024 में करजी फार्म्स द्वारा आयोजित ग्राफ्टेड तरबूज हार्वेस्ट डे कार्यक्रम ने क्षेत्र के कई किसानों को गहराई से प्रेरित किया। इस कार्यक्रम में दिखाए गए उन्नत किस्मों के पौधों, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और उच्च उत्पादन ने किसानों को तरबूज की खेती की ओर फिर से आकर्षित किया।
करजी फार्म्स की नर्सरी से तैयार ग्राफ्टेड तरबूज के पौधों को अपनाकर किसानों ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। ग्राम बोझा के प्रगतिशील किसान धनेश्वर राजवाड़े ने आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक मार्गदर्शन की मदद से पहली बार 35 टन प्रति हेक्टेयर का रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज किया। यह अब तक का सबसे अधिक तरबूज उत्पादन माना जा रहा है।
इस सफल मॉडल को सरगुजा के अलावा झारखंड में भी अपनाया गया है, जहाँ ग्राफ्टेड तरबूज की खेती ने बेहतरीन नतीजे दिए। इन पौधों की विशेषता यह है कि ये न सिर्फ रोग प्रतिरोधक होते हैं, बल्कि मौसम के अनुसार खुद को बेहतर ढंग से ढाल लेते हैं। इससे किसानों को नुकसान का जोखिम कम होता है और मुनाफा बढ़ता है।
कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का मानना है कि ग्राफ्टेड तरबूज की यह तकनीक आने वाले समय में तरबूज उत्पादन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है और सरगुजा को देशभर में एक विशिष्ट पहचान दिला सकती है।