🕉️ कांवड़ यात्रा 2025: 11 जुलाई से शुरू, जानिए इसकी शुरुआत और महत्व 🕉️

🕉️ कांवड़ यात्रा 2025: 11 जुलाई से शुरू, जानिए इसकी शुरुआत और महत्व 🕉️

 नई दिल्ली | धर्म-आस्था डेस्क

सावन मास की शुरुआत के साथ ही भगवान शिव के भक्तों की आस्था का पर्व कांवड़ यात्रा 2025 भी आज 11 जुलाई से शुरू हो गया है। यह यात्रा शिवभक्तों के लिए सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि आस्था, तप और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु विभिन्न पवित्र नदियों, खासकर गंगा नदी से जल भरकर लंबी दूरी तय करते हैं और उसे शिवलिंग पर अर्पित करते हैं।

🔱 कब तक चलेगी कांवड़ यात्रा?

इस बार कांवड़ यात्रा 23 जुलाई 2025 को सावन शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक के साथ संपन्न होगी। पूरे सावन महीने के दौरान हरिद्वार, गंगोत्री, गोमुख, देवघर जैसे तीर्थ स्थलों से जल लेकर शिवभक्त अपने नजदीकी शिव मंदिरों में जल चढ़ाते हैं।


🌊 कांवड़ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई?

पुराणों के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था, तो उसमें से विष निकला जिसे हलाहल कहा गया। यह विष इतना भयानक था कि पूरी सृष्टि संकट में पड़ गई थी। उस समय भगवान शिव ने समस्त सृष्टि की रक्षा के लिए उस विष को पी लिया और अपने कंठ में धारण कर लिया। इससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए।

इस विष के प्रभाव से उनके शरीर में भयंकर जलन होने लगी। तब देवताओं ने उन्हें शीतलता देने के लिए पवित्र नदियों का जल अर्पित करना शुरू किया। कहा जाता है कि रावण ही पहला कांवड़िया था, जिसने गंगाजल लाकर उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित एक महादेव मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाया था।





🙏 कांवड़ यात्रा का धार्मिक महत्व

  • भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम साधन मानी जाती है कांवड़ यात्रा।

  • गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

  • इस यात्रा से भय, रोग, दुख और दरिद्रता दूर होती है।

  • सावन महीना स्वयं भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है, इसलिए इस दौरान की गई पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है।


🚩 यात्रा के दौरान विशेष सावधानियां

  • कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालु पूरी निष्ठा के साथ संयम और नियमों का पालन करते हैं।

  • यात्रा के दौरान अधिकांश श्रद्धालु नंगे पांव चलते हैं और शुद्ध शाकाहारी आहार ग्रहण करते हैं।

  • रास्तों में "बोल बम" और "हर हर महादेव" के जयकारों से वातावरण गूंज उठता है।


📌 निष्कर्ष:
कांवड़ यात्रा न सिर्फ एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह संयम, तपस्या और भगवान शिव के प्रति अटूट भक्ति की अद्भुत मिसाल भी है। सावन में की गई यह यात्रा जीवन को सकारात्मक दिशा देती है और आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है।

🟧 हर हर महादेव! बोल बम! 🟧


© Navoday Chhattisgarh | 11 जुलाई 2025

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