भेलवाडाड़ में 16 पहाड़ी कोरवा परिवारों को मिला पक्का मकान, बदला जीवन का स्वरूप

 अम्बिकापुर। जिले के उदयपुर विकासखंड के सुदूर वनांचल ग्राम पंचायत बकोई के आश्रित ग्राम भेलवाडाड़ में विशेष पिछड़ी जनजाति के 16 पहाड़ी कोरवा परिवारों को प्रधानमंत्री जनमन योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का लाभ मिला है। अब ये परिवार पक्के मकानों में सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

पहले ये परिवार झोपड़ीनुमा अस्थायी घरों में रहते थे, जहां बारिश, ठंड और जहरीले जीव-जंतुओं का हमेशा खतरा बना रहता था। लेकिन अब इन पक्के मकानों से न केवल उन्हें सुरक्षित आवास मिला है, बल्कि उनके जीवन में स्थिरता और आत्मसम्मान भी आया है।



संपूर्ण विकास की ओर कदम

भेलवाडाड़ ग्राम, उदयपुर जनपद मुख्यालय से 40 किमी और जिला मुख्यालय अंबिकापुर से 80 किमी दूर स्थित है। यहां सभी परिवारों को सामूहिक रूप से एक सुंदर आवासीय कॉलोनी में बसाया गया है। कॉलोनी के निर्माण में स्थानीय सांस्कृतिक पहचान और रहन-सहन को ध्यान में रखा गया है। प्रत्येक घर में शौचालय की सुविधा है और बिजली, पानी, सड़क जैसी सभी मूलभूत सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं।


शासन की योजनाओं से जोड़ा गया

इन परिवारों को प्रधानमंत्री जनमन योजना के अंतर्गत विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं से भी जोड़ा गया है, जैसे:

  • आयुष्मान भारत योजना

  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि

  • सुरक्षा बीमा योजना

  • सुकन्या समृद्धि योजना

  • राशन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता

  • महतारी वंदन योजना

  • नरेगा जॉब कार्ड

इसके साथ ही तीन हितग्राहियों को तीन एकड़ में पाम ऑयल पौधारोपण एवं एक हितग्राही को एक एकड़ में फलदार पौधों की खेती के लिए चयनित किया गया है, जिससे उन्हें आय का स्थायी स्रोत मिल सकेगा।

लाभार्थियों की खुशी

गांव की पंच श्रीमती सुखनी ने बताया कि पहले उनका गांव शासन की योजनाओं से अछूता था, लेकिन अब उन्हें बिजली, सड़क, पानी और पक्के मकान जैसे सुविधाएं मिल रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री जनमन योजना के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि अब उनका गांव मुख्यधारा से जुड़ गया है।

विकास की नई परिभाषा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी पहल "प्रधानमंत्री जनमन" योजना के माध्यम से देश के वंचित और दूरस्थ जनजातीय समुदायों के जीवन में नया उजाला आया है। भेलवाडाड़ गांव इसका एक जीवंत उदाहरण बन चुका है, जहां अब सिर्फ छत ही नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की भी नींव रखी गई है।

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