सरगुजा भाजपा -एक समालोचना

सरगुजा में भाजपा की अंतर्स्थिति पर दृष्टि डालें, राजनीति में रूचि रखने  वाले इस राजनैतिक लोकयुक्ति कि।"दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तरप्रदेश से हो कर गुजरता है"से भली भांति परिचित होंगे।उसी तरह छग की क्षेत्रीय राजनीतिक में यह लोकोक्ति है कि, रायपुर की सत्ता का गलियारा एकीकृत सरगुजा से होकर गुजरता है।डा०रमन सिंह के तीसरे कार्यकाल तक सरगुजा भाजपा , अपने ही के शासनकाल में हाशिए में आ चुकी थी जिसके  कई तात्कालिक कारण थे,बात यह भी नहीं की यहां नेतृत्व का आभाव नहीं बल्कि आभाव दक्षता का है,जो प्रायः बूथ स्तर से होते हुए उत्क्रमित होती जा रही है ।

6/03/1980 को भाजपा के गठन के दौरान अध्यक्षीय भाषण में अटल जी ने कहा था,"एक दिन सूरज उगेगा और भारत के कोने कोने में कमल खिलेगा"। और सच बात है भाई कमल तो सूर्य के प्रकाश में ही खिलता है, कोई कुमुदिनी थोड़े है जो चांदनी में खिलेगा।अटल जी के बाद कमल खिलाने वाले दूसरे "पद्मप्रबोध" नरेंद्र मोदी हैं। कमल खिलेगा तो भौंरे आयेंगे ही जो उनका सर्वाधिकार भी है, लेकिन जब अनाधिकृत परागण करने लगे तो वह कमल को नुक़सान पहुंचा सकता है, क्योंकि वह उसके प्रकृति से अनजान हैं।तात्पर्य यह है कि सरगुजा भाजपा में स्वार्थी तत्व हावी है, और सन् "1990-2000के बीच के आंदोलनों में डंडा खाने वाले आज भी उपेक्षा खा रहे हैं। इसलिए अब अन्य दलों से प्रवेश कर भाजपा में शामिल होने वालों के लिए मुक्त द्वारा"नीति पर संयम रखना होगा।

आसन्न नगर पालिक निगम चुनावों के मध्य एक चर्चा दबे पांव आहट दे रही है कि।लाटरी पद्धति ने कई निर्वाचन क्षेत्रों का समीकरण बिगाड़ दिया, इसलिए पार्षद  उम्मीदवारी हेतु परस्पर अपने अनुक्रम में सीटों का सामंजस्य कर रहे हैं।यह एक हानिकारक कदम होगा, साथ ही व्यक्तिवाद और वंशवाद  के पुट को भी प्रस्तुत करता है,जो भाजपा की नितियों के विरूद्ध है। पोस्टरजीवी नेताओं के अतिरिक्त ब्यूटीपार्लर की सज्जा जैसी सनातनी मेकप -जीवीयों की भी संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही। जबकि भाजपा एक कैडर और अनुशासन वाली पार्टी है।

यद्यपि सरगुजा भाजपा के पिछले कार्यकाल में  कुछ सालों से मुखरता में कमी रही है।अभी नये अध्यक्ष के रूप में भारत सिंह की नियुक्ति के बाद युवा वर्ग में विशेष उत्साह देखा गया है,जिसका एक कारण उनकी "युवा तुर्क"वाली छवि,एक नव संचार कर सकती हैं । उपलब्धियां बौनी पड़ने पर समस्या कद्दावर हो जाती है । लेकिन संवाद  और दक्षता से गठन की मजबूती होती है।

      

                       ।।। मनोज कुमार सिंह ।।।

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