आलेख के प्रारंभ में एक बात का अवश्य उल्लेख अवश्य करना चाहूंगा कि, 05/08/24 को शेख हसीना के भारत में राजनैतिक शरण लेने के बाद से ऐसा लगा मानो भारत के बगल में जैसे सीरिया हो ? दूसरा यह कि,कृतघ्न पर किये गये सकैडो़ उपकार व्यर्थ है। उक्त दोनों बातें बंगलादेश पर सटीक बैठती है।
वर्ष 2022-2024 के पूर्व बांग्लादेश के मुसलमान पाकिस्तान के मुसलमानों को बंगलादेश का शोषक,अत्याचारी और विदेशी मानता था। क्योंकि शासक वर्ग के रूप में पाकिस्तानी उनकी मातृभाषा बंगाली को खारिज कर रहे थे, और पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के बंगाली मुसलमानों पर अत्याचार कर रहे थे। फिर पचास वर्षों बाद अचानक ऐसा क्या हुआ कि दो खीझ पूर्ण शाश्वत शत्रु देशों के मध्य मित्रता की राह कैसे?
पूर्व पंक्ति में लगे प्रश्नवाचक चिन्ह के गर्भ में अनेक धार्मिक, कट्टरवादी राजनैतिक व वैश्विक राजनीतिक की प्रतिक्रियाएं छिपी हुई है। इसलिए पाकिस्तान और बांग्लादेश की अस्थिरता भारत के लिए चिंतनीय है उसे सतर्क होना आवश्यक हो जाता है।
पाकिस्तान और बांग्लादेश में मित्रता लेकिन यकीन मानिए न तो बांग्लादेश पुनः पाकिस्तान की दासता की ओर बढ़ रहा है, और न ही पाकिस्तान अपने खोए हुए भूगोल की पुनर्प्राप्ति की ओर, बल्कि दोनों अपनी-अपनी स्वाभाविक मृत्यु की ओर बढ़ रहे हैं। क्योंकि यह एक आकस्मिक राजनैतिक घटना है एक त्वरित प्रतिक्रिया है,जो अल्पजीवी है ।
एक पुच्छल तारा जैसे जो कट्टरपंथी सत्ताओं के ताप से प्रज्जवलित जो शीघ्र ही अस्त हो जायेगा।बांग्लादेश और पाक की निकटता में एक चीज पूरी तरह से अनुभव की जा सकती हैं कि बांग्लादेश के मामले में पाकिस्तान बिग ब्रदर की भूमिका में हैं, लेकिन कंगाल और अशांत है।जबकि दोनों राष्ट्र आंतरिक रूप से आशांत है इसलिए सगाई से पहले ही विवाह भंग हो जाएगा !
मो० युनुस जो बांग्लादेश के कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं, जो जमाते इस्लामी और बांग्लादेश के कट्टरपंथी के मुखौटे से अधिक कुछ नहीं। कुछ मामले पाकिस्तान और बांग्लादेश में समानता है कि उनके शासक कहीं कट्टरपंथियों तो कहीं सेना के कठपुतली है।
इस्लामी जगत की अवधारणा और इससे पहले भारतीय प्रायद्वीप का इस्लामीकरण करना,पाक और बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों को जोड़ने वाला सेतु है।। वहीं शेख हसीना का शिया होना भी दोनों देशों के कट्टरपंथी संगठनों को निकट लाता है। यहां मामला सीरिया से मिलता जुलता है।
वहीं दूसरी ओर भारत में 2014 से निरंतर मोदी सरकार तथा काशी विश्वनाथ, अयोध्या, ज्ञानवापी,श्री कृष्ण जन्मभूमि और संभल की शाही मस्जिद जैसे स्थानों पर पुरातत्व विभाग सर्वेक्षण विभाग के सर्वेक्षण में हिंदू धार्मिक चिन्हों प्रगट होना, और हिन्दूओं द्वारा अपने प्राचीन पूजा स्थलों को प्राप्त करने की कानूनी लड़ाई और इसे मिल रहा हिन्दू समर्थन और सफलता, जो स्वाभाविक तौर से पाकिस्तान और बांग्लादेश की समान पीड़ा भी है, और वर्तमान में पाक और बांग्लादेश की निकटता का कारण भी है।लेकिन हर स्थल पर हिंदू मंदिर और सनातनधर्म
चिन्ह होने का दावा भी उचित नहीं है,ऐसा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने भी अपने उद्बोधन में कहा भी है। अशांति के अतिरिक्त , बांग्लादेश में हिन्दू उत्पीड़न बढ़ने का सामायिक कारण ,भारत में संभल हिंसा जैसे मामले भी एक कारण है। ऐसी मेरी निज मान्यता भी है,जिसकी पुष्टि दिनांक 02/07/1971 को रोईदाद खान द्वारा संकलित "द अमेरिकन पेपर "में
अमेरिकन दूतावास के अधिकारी ने बांग्लादेश युद्ध (1971) के दौरान बांग्लादेश के बारे में लिखा कि, " पाकिस्तानी सेना इस बात पर यकीन कर रही थी कि वे (बंगाली मुस्लिम) हिंदूओं द्वारा पथ भ्रष्ट किये गये है, अतः वे बंगाली मुसलमानों के विरुद्ध जेहाद कर रहे",की पुष्टि करता है। मुझे लगता बलोच और तालिबानी कमांडरों को फंडिंग कर पाकिस्तान को बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनवा में व्यस्त कर उसे वही रोका सकता है। और फरक्का जल समझौता रद्द कर बांग्लादेश को कसा जा सकता है।
बांग्लादेश पाकिस्तान की अपेक्षा भारत के लिए अधिक खतरनाक है,वही दूसरी ओर बांग्लादेश में अमेरिकी (रिपब्लिकन पार्टी) चीन, पाकिस्तान और ग्लोबल लेफ्ट ईको सिस्टम की उपस्थिति भारत के लिए चिंतनीय है। इसे लिए कभी कभी ऐसा लगता है कि भारत सरकार बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में शांति सेना क्यों नहीं भेज रही है? या फिर फरक्का जल समझौता को भंग क्यों नहीं कर देती है?जिसका संभावित उत्तर है 20/01/25 डेमोक्रेटिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण के बाद। क्योंकि अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ट्रंप बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का मामला प्रमुखता से उठा चुके हैं। जबकि भारत समर्थित हिंदू तुलसी गेबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस प्रमुख, भारतीय मूल के काश पटेल को एफबीआई चीफ तो,एलन मस्क और विवेक रामास्वामी को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी बनाया है। जो निःसंदेह यह संकेत करते हैं कि, आने वाले समय में भारतीय प्रायद्वीप और मध्य पूर्व एशिया में कुछ विशेष और बड़ा होगा।
🖊️ श्रीमती सीमा सिंह