अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प 20/12/25 अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत करेंगे।इस बीच अमेरिका में रिपब्लिकन निवर्तमान डेमेक्रेटिक के साथ शासन का क्रियान्वयन कर रहे। इस बीच अमेरिका सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परिवर्तन के चिन्ह परिलक्षित होने लगें हैं, सबसे पहला परिवर्तन तो डालर का मूल्य 14% बढ़ जाना है।
भारत के लिए स्थिति अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लाभकारी रहने की संभावना है, ट्रंप,पुतिन से संबंध स्थापित करना चाहते हैं, इसलिए तात्कालिक परिस्थितियों में रूस और अमेरिका के लिए भारत आवश्यक है, जबकि दोनों देशों के साथ वर्तमान में हमारे अच्छे संबंध हैं ,रूस तो हमारा परंपरागत विश्वसनीय मित्र भी हैं। अमेरिका रूस मित्रता की राह दिल्ली से होकर गुजरेगी!
पिछले दिनों मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा मोदी को आमंत्रित किया गया था,तब इस मुलाकात को लेकर ढेर सारी संभावनाएं व्यक्त की गई थी।
यह उचित अवसर है उस लाभ के प्राप्ति हेतु। आने वाले समय में भारत आर्थिक और सैनिक शक्ति के रूप और अधिक मजबूत होगा।
पुतिन और ट्रंप की मित्रता से रूस बेहिचक चीन से दूरी बना सकता है,सत्तर के दशक में रूस चीन के सीमा विवाद और राजनीतिक कारणों से संबंध एक दूसरे से कटुता पूर्ण ढंग से रहे हैं। जबकि रूस के लिए चीन सुखद कभी नहीं रहा है।
यह स्थिति भारत के लिए बेहतरीन और भारतीय विदेशनीति का स्वर्णिम समय हो सकती है,जब रेशम मार्ग के जरिए, बीजिंग की महत्वाकांक्षा से कहीं अधिक मास्को -वाशिंगटन डीसी के मैत्री मार्ग के रूप में स्थित,
दिल्ली के पास अधिक संभावनाएं दिखाई देती है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियां यथा रही है इजरायल के साथ मजबूती से खड़ा रहना,उक्रेन को हथियार सप्लाई बंद करना, और अमेरिका का नाटो की सदस्यता छोड़ने पर विचार, ईरान पर प्रतिबंध आदि, डोनाल्ड ट्रम्प के प्रमुख मुद्दे पूर्व के शासन में ही थे और अभी भी है। अतः ढेर सारी बदलावों की संभावना है। फिलहाल मार्च 25 के मध्य तक रूस यूक्रेन और इजरायल -हिज्बुल्लाह ईरान के साथ युद्ध समाप्त हो जायेगा ,या और अधिक आक्रमक हो सकता है,इस बात अधिक संभावनाएं दिखाई देती है।
भारत के लिए एक बेहतर विकल्प की स्थिति है।
रूस अमेरिका की मित्रता चीन और उत्तर कोरिया को प्रभावहीन करने में सहायक होगी। विशेषतः चीन को।इस स्थिति का स्पष्ट लाभ भारत को मिलेगा है।
दो दिन पूर्व फलस्तीन और लेबनान पर इजराइली हमले के विरुद्ध मुस्लिम देशों के शासकों की सऊदी अरब की राजधानी रियाद में बैठक हुई, जिसमें कुवैत यमन सीरिया मिस्र ईरान,व पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देश शामिल हुए। हम बचपन में अपने बुजुर्गों से इस बात को सुनते आए हैं कि, तृतीय विश्वयुद्ध के समय चीन सभी मुस्लिम राष्ट्रों का नेतृत्वकर्ता रहेगा? और शेष विश्व की ओर से अमेरिका युद्ध का नेतृत्व करेगा? इजरायल के विरूद्ध सऊदी अरब में बैठक और तात्कालिक वैश्विक परिदृश्य,इन संकेतों का समर्थन करते हैं।
पूर्व में सोवियत संघ और अमेरिका मित्र रह चुके हैं,व द्वितीय विश्व युद्ध सोवियत संघ, अमेरिका के साथ मिलकर लड़ा।इस बार दोनों के पुनः मित्रता की अग्रसर है , सोवियत संघ का विघटन और शीतयुद्ध की समाप्ति 90के दशक की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना रही।इस लिए इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि रुस अमेरिका की संभावित मित्रता"कुटनीति के उबलते पात्र में ढबकता हुआ ढक्कन सदृश है"। हम तृतीय विश्वयुद्ध की ओर अदृश्य रूप से अग्रसर हो रहे हैं। क्योंकि हमें अपनी अगाध और अंधाधुंध भौतिक समृद्धि का मूल्य जो चुकाना बाकी है।
(मनोज कुमार सिंह)