इस समय दो राज्यों में विधानसभा चुनाव दो चरणों में होने है, महाराष्ट्र में चुनाव एक ओर झारखंड में दो चरणों में संपन्न होगा। आलेख में हम महाराष्ट्र चुनावों व संभावित परिणामों पर वर्तमान परिस्थितियों के यथार्थ पर भविष्य के धुंधलके में देखने का प्रयास करेंगे। राजनीति यथार्थ, कल्पना,कला और,करतब का संयोग है, राजनीति विज्ञान भी है, और शास्त्र भी है। इसलिए इसमें भविष्यवाणी और और फलित परिणाम दोनों की
संभावना पर्याप्त है । वर्तमान महाराष्ट्र राजनीति में भाजपा 103सीटों के साथ सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी है,तथा महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार चला रही हैं। उसके सहयोगियों में शिवसेना (शिंदे) के पास और एनसीपी (अजीत) के पास क्रमशः 40व 43सीटे है, महाराष्ट्र में इस गठबंधन का नाम "महायुति" है। जबकि महाअघाडी़ में एनसीपी (शरद), के पास 13 यूटीबी (उद्धव) के पास 15और कांग्रेस के पास 43सीटे़ है, इससे पूर्व महाराष्ट्र में महाअघाडी की ही सरकार थी। यहां विधानसभा सीटों की संख्या 288है।वर्तमान में यहां की बयार ने मौसम की तरह यहां के राजनीतिक मौसम को भी ठंड गर्मी के संधि स्थल गुलाबी ठंड में तब्दील कर दिया है। महायुति में बिग ब्रदर भाजपा 150-160 सीटों पर चुनाव चुनाव लड़ना चाहती है, उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो चुकी है। शिंदे 66 व अजित 52 सीटों पर चुनाव लडना चाहते हैं। भाजपा और शिवसेना (शिंदे) के मध्य 28सीटो पर दावे-आपत्ति पर चर्चा जारी है। जबकि महाअघाडी़ में कांग्रेस और यूटीबी के बीच 15 सीटों पर असहमति है, जिसमें 12सीटे विदर्भ की और 03 सीटें मुंबई की शामिल हैं।अभी उड़ती हुई खबर आई थी की उद्धव ठाकरे की पार्टी अकेले चुनाव लड़ेंगी, ऐसा हो भी सकता है क्योंकि शरद पवार के अतिरिक्त इस गठबंधन का खेवनहार कोई नहीं है। राहुल गांधी,उद्धव ठाकरे, सुप्रिया सुले व संजय राऊत से इसकी उम्मीद करना मायावी राजनीति से धूर्तता करने में जैसा है। मैने महाराष्ट्र के मित्रों से फोन पर बात की।चाचा -भतीजा (अजीत-शरद) के भरत मिलाप के प्रश्न पर वे कहते हैं,मिलाप संभव नही है, क्योंकि मामला पारिवारिक अधिक है। अजीत के चाहने पर भी सुप्रिया सुले बाधा है। जैसै राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे न मिल सके , स्थिति अब हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ के संबंधों जैसी है। लेकिन शरद पवार भाजपा से अधिक कुछ जगहों पर शिवसेना व अजीत पवार को नुक़सान पहुंचा सकते हैं,वे शिंदे की क्षति कर उसे उद्धव के लिए फायदेमंद बना सकते हैं।
"महायुति " में भाजपा हरियाणा चुनाव में जीत की उत्साह से कार्य करेगी। महाराष्ट्र में भाजपा के समक्ष अभी न्यूनतम चुनौती की स्थिति है।
उद्धव का पिता के स्थापित सिद्धांतों से अलग मार्ग पर चलने के कारण मराठियों के समक्ष उनके साख का पतन हुआ है। यूटीबी अपने अस्तित्व की लडाई लड़ रही है।लेकिन उद्धव को फायदा यह होगा कि जहां एनसीपी चुनाव नहीं लड़ रही है,
वहां शरद पवार के समर्थक शिंदे के
बजाए उद्धव की पार्टी को वोट देंगे।
महायुति में शिंदे और अजीत पवार की पार्टी के मध्य अदृश्य तनाव है,जिसका लाभ सीटों के रूप में भाजपा को अधिक रहेगा,महाअघाडी विकास परिषद अभी इस स्थिति में नहीं है। शिवाजी महाराज, हिंदूत्व जैसे मुद्दे मराठवाड़ा में प्रभावी रहते हैं, जबकि यह मु्द्दे कोंकण क्षेत्र में उतने प्रभावशाली नहीं रहते हैं । मुसलमान संगठित लेकिन दिशांतर मतदान राकांपा और कांग्रेस के समर्थन में करेगा,पर इसका अधिकाधिक लाभ होता कांग्रेस को संभावित है।
महायुति में शिवसेना,एनसीपी
भाजपा के पुनर्रावृत्ति के आसार हैं , भाजपा अभी के परिदृश्य में महाराष्ट्र में लाभप्रद स्थिति में है ।
लेकिन राजनीतिक में विश्वस्त से विश्वस्त पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए, बावजूद इसके महाराष्ट्र में भाजपा फायदें की स्थिति में है।
लेकिन परिणाम पूर्व तक प्रतीक्षा सर्वोत्तम नीति है।
( 🖊️प्रियदर्शी)