पौराणिक युद्ध नीति की पुनरावृत्ति

        आधुनिक विज्ञान के अविष्कार भारतीयों को प्रायः आश्चर्य में नहीं डालते, क्योंकि इन जैसे और इनसे भी श्रेष्ठ तकनीकी हमारे महाकाव्यों और दर्शनों,व पुराणों में वर्णित है।  लेकिन यदि आप किसी व्यक्ति को उसके राष्ट्र के गौरवशाली अतीत, से वंचित करते हैं और उसकी मान्यताओं का उपहास करते हैं,तो यह षड्यंत्र है और वामपंथी विचारधारा और लेखकों ने ऐसा ही किया।

           लेबलान में क्रमशः पेजर, रेडियो, मोबाइल में हो रहे विस्फोटों ने विश्व युद्ध नीति में क्रांतिकारी परिवर्तन और हर व्यक्ति के लिए भयोदत्पादक स्थिति का घेरा बना दिया है। हालांकि पुराने काल से ही युद्ध की अनेक विधाएं और अस्त्र-शस्त्र प्रचलित थे। रसायनिक युद्ध के रूप में प्राचीन यूनानी शासक शत्रु देश के जल स्रोतों में विष मिला देते थे। भई इसी रासायनिक हथियारों के नाम पर अमेरिकी और मित्र राष्ट्रों ने इराक पर आक्रमण कर उसे नस्तेनाबूद कर दिया।

  बेरूत के होश उड़े हुए हैं, यह सब किसने किया? सब मौन है लेकिन प्रगट है। यहां यह बात महत्वपूर्ण है कि इजरायल का झुकाव भारत की ओर अपने निर्माण समय से ही  रहा है, जिसकी बुनियाद अधिकांशतः सांस्कृतिक है। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति मे सांस्कृतिक राजनीति को साप्ट डिप्लोमेसी का दर्जा प्राप्त है,जिसका प्रयोग करने में वर्तमान नेतृत्व कुशल है।

     रही बात लेबलान में पेंजर, मोबाइल और रेडियो में विस्फोट, इसे सनातनी ग्रंथों में लघिमा,अणिमा कहते हैं, सूक्ष्मरूप धारण करना लघिमा है और अणु जैसा हो जाना अणिमा है । अणिमा सिद्धि के द्वारा ही फूल में छिप,हनुमान जी पाताल जा कर अहिरावण का वध करते हैं ।इसी विद्या के द्वारा तक्षक सर्प वस्तु में प्रवेश कर राजा परीक्षित को डस लेता। हनुमान जी अतिलघु रूप से सुरषा के मुख में समा बाहर निकलते हैं। अग्निबाण के रूप में आज मिसाइलें हैं,।लक्ष्य का पीछा कर उसे भेदने वाली रूस की यूएस 400 मिसाईल ध्वनि बाण का ही परिष्कृत रूप है।  ग्रंथों में शरीर के अंदर प्रविष्ट करने और कर लिए जाने के उदाहरण भी मिलते हैं, जैसे भगवान शिव ने शुक्राचार्य को उदरस्थ कर अपने शुक्र से बाहर निकाल देने का वृत्तांत है,जो रेडियो और मोबाइल तरंगों द्वारा युद्ध छेड़ने का भविष्य भी है,जो अभी  पालने में है।

   युद्ध में शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए मगध सम्राट अजातशत्रु ने मूसलकंटक नामक हथियार का प्रयोग किया।

  हिज्बुल्लाह के विरुद्ध इस युद्ध में लेबलान में फटते मोबाइल,पेजर, और रेडिय में विस्फोटों ने, यकिन जानिए संचार क्रांति या कम्युनिकेशन रिवोल्यूशन का अर्थ यथार्थ रूप में भयावह कर दिया है।

    वैदिक विज्ञान के  माध्यम से भारत को प्रतिरक्षा ही नहीं हर क्षेत्र में अधिकाधिक संपन्न किया जा सकता है।

           ।।  मनोज कुमार सिंह।।

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