वैसे तो सीता समाधी स्थल प्रयागराज के पास है, जहां सीता मां ने समाधी ली थी। लेकिन जहां कानून व्यवस्था ही समाधिस्थ हो उसे सीतापुर (छ०ग०) कहते हैं?यह हम नहीं बल्कि मृतक संदीप लकड़ा का शव कह रहा है?
यह पुलिस की असफलता हैं, हां एक बात और थाना एक ऐसा स्थान है, जहां फरियादी और आरोपी दोनों पक्षों से आर्थिक लाभ की संभावना तुल्य रहती है। लेकिन सिर्फ पुलिस पर आरोप लगा कर अपने सामाजिक दायित्व से मुकरा नहीं जा सकता था। यदि निरपेक्ष कहा जाए तो पुलिस ही नहीं हर व्यवस्था में सुनीति और कुरीति समाज की अनिर्वचनीय देन है । पहले राजनीतिक दलों का मुख्य चुनावी नारा, "भय, भूख और भ्रष्टाचार से मुक्ति होती थी।भय का पैमाना सामंतवादी,गरीबी, और अशिक्षा मुख्य थी।अब स्थिति में बदलाव है, पुलिस और अपराधियों दोनों की कार्यप्रणाली में भी आधुनिकता है। पहले सरगुजा में अपराधों की प्रवृत्ति भी प्रायः नशे पर आधारित रही, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर मामले घरेलू होते। जिसमें पति को भोजन देने से इंकार करने पर, पत्नी की हत्या और मनपसंद सब्जी न बनाने पर पत्नी की हत्या। जबकि शहर मे यह प्रतिष्ठा की विषय वस्तु रही है।
लेकिन वर्तमान समय में सरगुजा में अपराध के तरीकों में वीभत्स और शातिराना परिवर्तन आया है।अक्षत केडिया हत्याकांड, संदीप लकड़ा हत्याकांड कांड जैसे प्रकरणों ने शातिराना और क्रूरता को एक साथ परिभाषित किया,वही दूसरी ओर रामानुजगंज में ज्वैलरी शाप मे छः करोड़ की डकैती,एक अलग अध्याय है। इसलिए सरगुजा अभी भयमुक्त नहीं है ।
अगर सरगुजा में वर्ष 2023 की तुलना में वर्ष 2024 में अपराध के आंकड़ों में कमी दर्ज की है, कुछ मामले यथा है। हत्या- वर्ष 2023-1174, वर्ष 2024में 1090, हत्या का प्रयास -वर्ष 2023मे-1104 , वर्ष 2024मे-986 रेप -वर्ष 2023 -2583, वर्ष 2024में-2319 (उक्त सभी आंकड़े एससीआरबी 31जन०से 31जुलाई) तक के है, लेकिन अपराध की वीभत्स तरीकों से हुए हैं,जो जनमानस को भयाक्रांत करते हैं। इसलिए सरगुजा अभी भयमुक्त नहीं है। सरगुजा में अपराध का स्वरूप हाईटेक हुआ है, इसलिए, डेविड अब्राहमसेन ने अपराध और अपराधी के लिए विकसित सूत्र "सी=टी+एस आर एस=अपराध,टी = प्रवृत्ति,एस= परिस्थिति, और आर =विरोध है। की सामाजिक नीति अपराध पर अंकुश लगा सकती हैं, क्योंकि डर कायम है।
धरना प्रदर्शन करने वालें जो आज अपनी रोटियां सेंक रहे हैं, यदि मदद की होती तो यह स्थिति निर्मित नहीं होती। और सीतापुर विधायक किंकर्तव्यविमूढ़ है, लेकिन सरगुजा भयमुक्त अभी भी नहीं है ।
।। श्रीमती सीमा सिंह।।