📰 समाचार रिपोर्ट |
📅 मैनपाट,
📍 समभोता तिब्बतन स्कूल | जिला सरगुजा, छत्तीसगढ़
🏫 1960 से मैनपाट में बसे तिब्बती समाज के बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देने की पहल
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मैनपाट में 1960 के दशक से तिब्बती समाज के लोग निवास कर रहे हैं।
तिब्बती बच्चों को शिक्षा से जोड़ने और भाषा व संस्कृति को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से केंद्रीय तिब्बती प्रशासन द्वारा समभोता तिब्बतन स्कूल की स्थापना की गई।
📚 अब सभी विषय तिब्बती भाषा में पढ़ाए जाते हैं
- पहले स्कूल में हिंदी, अंग्रेज़ी और गणित जैसे विषय अन्य स्कूलों की तरह पढ़ाए जाते थे।
- लेकिन तिब्बती बच्चों के अपनी जड़ों से दूर होने की चिंता के चलते पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया।
- अब गणित, विज्ञान, अंग्रेज़ी और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय तिब्बती भाषा में अनुवादित रूप में पढ़ाए जाते हैं।
👨🏫 प्रधान पाठक दावा छेरिंग का बयान
"हमारा उद्देश्य बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ उनकी संस्कृति से जोड़ना है। तिब्बती भाषा में पढ़ाई से वे अपनी पहचान को बनाए रख सकेंगे।"
💻 स्मार्ट क्लास और डिजिटल लर्निंग की सुविधा
- स्कूल में स्मार्ट क्लासरूम की व्यवस्था है।
- गणित, विज्ञान, अंग्रेज़ी जैसे विषय डिजिटल माध्यम से पढ़ाए जाते हैं।
- कंप्यूटर शिक्षा भी दी जा रही है ताकि बच्चे तकनीकी रूप से सक्षम बन सकें।
🎶 संगीत और खेल के ज़रिए परंपरा से जुड़ाव
- बच्चों को तिब्बती गीत, संगीत और नृत्य के माध्यम से परंपरा से जोड़ा जा रहा है।
- संगीत कक्षा और वाद्ययंत्रों की सुविधा उपलब्ध है।
- खेल-कूद के लिए बड़ा मैदान है, जहां बच्चे शारीरिक और मानसिक विकास कर रहे हैं।
📖 प्राथमिक शिक्षा के साथ सर्वांगीण विकास पर फोकस
- विद्यालय में कक्षा पहली से पाँचवीं तक की शिक्षा दी जाती है।
- बच्चों को मुफ्त पुस्तकें, भोजन और सह-पाठयक्रम गतिविधियाँ दी जाती हैं।
- गणित, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, अंग्रेजी, पर्यावरण, गीत-संगीत और तिब्बती भाषा जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं।
🌉 परंपरा और आधुनिकता के बीच सेतु
- विद्यालय का उद्देश्य तिब्बती बच्चों को आधुनिक शिक्षा देते हुए उनकी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखना है।
- केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जा रही है।
📍 मैनपाट का समभोता तिब्बतन स्कूल एक ऐसा उदाहरण है जहां शिक्षा केवल ज्ञान नहीं, बल्कि पहचान और परंपरा से जुड़ाव का माध्यम भी बन चुकी है।

