📰 समाचार रिपोर्ट |
📅 अंबिकापुर,
📍 राजीव भवन, जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय, सरगुजा
🙏 महात्मा गांधी की 156वीं और लाल बहादुर शास्त्री की 121वीं जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित, प्रभातफेरी और विचार गोष्ठी का आयोजन
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 156वीं जयंती और भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री की 121वीं जयंती के अवसर पर जिला कांग्रेस कमेटी सरगुजा द्वारा राजीव भवन में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः प्रभातफेरी से हुई, जिसमें कांग्रेस सेवादल ने जिलाध्यक्ष लोकेश पासवान और महिला जिलाध्यक्ष प्रीति सिंह के नेतृत्व में राजीव भवन से गांधी चौक तक मार्च किया।
गांधी प्रतिमा स्थल पर साफ-सफाई कर माल्यार्पण किया गया।
🗣️ सभा में स्वदेशी आंदोलन और गांधीजी के विचारों पर हुई चर्चा
- राजीव भवन के सभा कक्ष में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने कहा कि
"आज देश में स्वदेशी को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन गांधीजी ने इसे जीवन में उतारकर जन आंदोलन बनाया था।" - उन्होंने खादी वस्त्र, संयमित जीवनशैली और सत्य-अहिंसा के मार्ग को गांधीजी की प्रेरणा बताया।
- गांधीजी के विचारों को आज के सामाजिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक बताते हुए कार्यकर्ताओं को उनके सिद्धांतों को अपनाने का आह्वान किया गया।
🌾 लाल बहादुर शास्त्री को किया गया स्मरण, आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया गया
- शास्त्री जी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके योगदान को याद किया गया।
- पीसीसी महामंत्री श्री द्वितेन्द्र मिश्रा ने कहा कि
"शास्त्री जी का कार्यकाल इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ निश्चय से अल्प समय में भी बड़े कार्य संभव हैं।" - उन्होंने हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और 1965 के युद्ध में शास्त्री जी की निर्णायक भूमिका को राष्ट्र निर्माण की नींव बताया।
👥 कार्यक्रम में शामिल रहे कांग्रेस कार्यकर्ता और पदाधिकारी
इस अवसर पर द्वितेन्द्र मिश्रा, अनिल सिंह, जमील खान, नूतन एक्का, विशा सिन्हा, निखिल विश्वकर्मा, अमित वर्मा, जगजीत मिंज, अनीमा प्रकाश केरकेट्टा, अमित मिंज, बालकेश्वर, विनोद एक्का, विजय बेक, अलंकार तिवारी, नवनीत तिवारी, मुनव्वर अली, विनोद सिंह, संजय सिंह, विवेक सिंह, प्रमोद चौधरी, हरभजन भामरा, अमित सिंह, वीरेन्द्र सिन्हा सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
📍 यह आयोजन न केवल श्रद्धांजलि का प्रतीक था, बल्कि गांधी-शास्त्री के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने और स्वदेशी व आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूत करने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल भी रही।



