🗓 अंबिकापुर,
अंबिकापुर में यूरिया की कालाबाजारी के खिलाफ प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए एक बड़ी कार्यवाही को अंजाम दिया है। प्रतापपुर रोड स्थित सकालो गांव में संचालित मेसर्स बहुउद्देशीय सहकारी समिति को सील कर दिया गया है। यह कार्यवाही उन किसानों की शिकायतों के बाद की गई है, जिन्होंने यूरिया की अधिक दरों पर खरीदारी करने के लिए मजबूर होने की पीड़ा जनप्रतिनिधियों के माध्यम से प्रशासन तक पहुंचाई थी।
🔍 शिकायतों की पृष्ठभूमि: पिछले कुछ सप्ताहों से अंबिकापुर क्षेत्र के कई किसानों ने शिकायत की थी कि उन्हें निर्धारित दर से अधिक मूल्य पर यूरिया खरीदना पड़ रहा है। यह स्थिति विशेष रूप से प्रतापपुर रोड स्थित सकालो गांव में संचालित सहकारी समिति में देखने को मिली, जहां यूरिया की उपलब्धता को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। किसानों ने आरोप लगाया कि समिति द्वारा जानबूझकर यूरिया की आपूर्ति सीमित की जा रही थी, जिससे उन्हें मजबूरी में ऊंची कीमत पर खाद खरीदनी पड़ी।
📣 जनप्रतिनिधियों की सक्रियता: किसानों की पीड़ा को गंभीरता से लेते हुए स्थानीय विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने इस मामले को कलेक्टर श्री विलास भोसकर के संज्ञान में लाया। इसके बाद जिला प्रशासन ने तत्काल जांच के आदेश दिए और प्राथमिक स्तर पर ही अनियमितताओं की पुष्टि होने पर कार्यवाही की गई।
🚫 सील की गई संस्था: जांच के बाद मेसर्स बहुउद्देशीय सहकारी समिति को सील कर दिया गया। साथ ही यूरिया गोदाम को भी प्रशासनिक आदेश के तहत बंद कर दिया गया है। इस कार्यवाही से यह स्पष्ट संकेत गया है कि प्रशासन किसानों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।
👥 किसानों की प्रतिक्रिया: इस कार्यवाही के बाद क्षेत्र के किसानों में राहत की भावना देखी जा रही है। कई किसानों ने प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह कदम उनके अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में खाद की आपूर्ति पारदर्शी और नियमानुसार होगी।
📌 प्रशासन का संदेश: कलेक्टर श्री भोसकर ने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की कालाबाजारी, जमाखोरी या किसानों के शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने सभी सहकारी समितियों को चेतावनी दी कि खाद वितरण में पारदर्शिता और नियमानुसार प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है।
🌟 न्याय और जवाबदेही की ओर एक कदम: यह कार्यवाही न केवल अंबिकापुर के किसानों के लिए राहत लेकर आई है, बल्कि पूरे जिले में एक उदाहरण बन गई है कि प्रशासनिक तंत्र किसानों के हितों की रक्षा के लिए तत्पर है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि जब जनप्रतिनिधि, प्रशासन और आम जनता मिलकर आवाज उठाते हैं, तो व्यवस्था में सुधार संभव है।
