📰 समाचार रिपोर्ट |
📅 अंबिकापुर,
📍 लुंड्रा विकासखंड, जिला सरगुजा
🚨 स्थानांतरण आदेश के बावजूद मनोज वर्मा कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं, मनीष कुमार को नहीं मिल रही जिम्मेदारी
छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 10 जुलाई 2025 को जारी स्थानांतरण आदेश की लुंड्रा विकासखंड में खुलेआम अवहेलना हो रही है।
पुराने प्रभारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी मनोज वर्मा को डाइट अंबिकापुर में सहायक प्राध्यापक के पद पर प्रतिनियुक्त किया गया था, जबकि मनीष कुमार को लुंड्रा का नया प्रभारी BEO नियुक्त किया गया।
लेकिन दो माह बीतने के बाद भी मनोज वर्मा ने पुरानी जिम्मेदारी नहीं छोड़ी, जिससे ‘डबल चार्ज’ की स्थिति बन गई है और शिक्षा कार्य प्रभावित हो रहा है।
🧾 राजनीतिक संरक्षण और आदेश की अनदेखी
- सूत्रों के अनुसार मनोज वर्मा को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते स्थानांतरण आदेश का पालन नहीं हो रहा।
- अवर सचिव रामेश्वर प्रसाद वर्मा द्वारा हस्ताक्षरित आदेश की अनदेखी ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
- स्थानीय शिक्षक संगठनों ने इसे गंभीर अनियमितता बताते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
🧑🏫 विशेष जनजाति वर्ग के अधिकारी को नहीं मिल रही जिम्मेदारी
- नए प्रभारी BEO मनीष कुमार विशेष आरक्षित जनजाति (PVTG) से हैं और मेहनत से इस पद तक पहुंचे हैं।
- राज्य सरकार की जनजातीय प्रोत्साहन नीति के बावजूद उन्हें पूर्ण जिम्मेदारी नहीं मिलना सरकार के दावों पर सवाल उठाता है।
- छत्तीसगढ़ जागरूक शिक्षक संघ की प्रदेश महामंत्री गायत्री मंडलोई ने कहा,
“राजनीतिक दबाव में आदेशों की अवहेलना से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है। विशेष वर्ग के अधिकारियों को मौका देने की नीति सिर्फ कागजों तक सीमित है।”
🧑⚕️ जिला शिक्षा अधिकारी की चुप्पी और प्रशासनिक निष्क्रियता
- जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार झा ने मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
- कलेक्टर विलास भोसकर के निर्देशों के बावजूद स्थानीय स्तर पर आदेशों का पालन नहीं हो रहा है।
- विभागीय हलकों में डॉ. झा की चुप्पी को लेकर असंतोष व्याप्त है।
- transfer order document
📚 शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल असर
- स्कूल निरीक्षण, शैक्षणिक योजनाओं का क्रियान्वयन और छात्रों की पढ़ाई इस अनिश्चितता से प्रभावित हो रही है।
- विशेषज्ञों का कहना है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो यह पूरे राज्य में गलत नजीर बन सकता है।
🗣️ शिक्षक संगठनों की मांग
- उच्च स्तरीय जांच और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।
- यदि स्थिति नहीं सुधरी, तो यह मामला राज्य स्तर पर चर्चा का विषय बन सकता है।
- विभाग से अपेक्षा है कि शीघ्र हस्तक्षेप कर आदेशों का पालन सुनिश्चित किया जाए।
📍 यह मामला न केवल प्रशासनिक जवाबदेही से जुड़ा है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और संवेदनशीलता की परीक्षा भी है।


