अम्बिकापुर में शैक्षिक गुणवत्ता एवं परीक्षा परिणाम सुधार हेतु कार्यशाला सम्पन्न


अम्बिकापुर, स्कूल शिक्षा विभाग, सरगुजा संभाग के तत्वाधान में मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान के अंतर्गत “मिशन शैक्षिक गुणवत्ता एवं शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम” विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन आज शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, अम्बिकापुर के सभागार में किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संभागायुक्त श्री नरेंद्र दुग्गा थे, जबकि अध्यक्षता संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सरगुजा श्री संजय गुप्ता ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में सहायक आयुक्त (आदिवासी विकास) डॉ. ललित शुक्ला और विवेकानंद शिक्षा समूह के स्वामी तनमय्यानंद उपस्थित रहे।

इस कार्यशाला में संभाग के सभी जिलों के चिन्हांकित जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखंड शिक्षा अधिकारी, डाइट प्रतिनिधि, प्राचार्य, संकुल और विकासखंड स्त्रोत केंद्र समन्वयक, शिक्षक तथा शिक्षाविदों ने सहभागिता की। संयुक्त संचालक श्री संजय गुप्ता ने स्वागत-प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, वहीं विश्रामपुर की कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल के श्री आशीष भट्टाचार्य ने शाला स्तरीय गुणवत्ता प्रयासों पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन सहायक संचालक ने किया तथा आभार प्रदर्शन श्री अजय मिश्रा द्वारा किया गया।

मुख्य उद्देश्य एवं चर्चाएं:

कार्यशाला का उद्देश्य कक्षा 1 से 12 तक वार्षिक शैक्षणिक कार्ययोजना तैयार कर शिक्षण-अधिगम की गुणवत्ता में सुधार लाना और कक्षा 10वीं व 12वीं में शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम सुनिश्चित करने हेतु रणनीति बनाना रहा। इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति, वार्षिक शैक्षणिक कैलेंडर अनुपालन तथा सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों के माध्यम से समग्र छात्र विकास पर चर्चा हुई।

मुख्य वक्ताओं के विचार:

  • संभागायुक्त श्री दुग्गा ने कहा कि शिक्षा में तकनीक का विवेकपूर्ण उपयोग, शिक्षक क्षमता विकास और लर्निंग आउटकम्स पर केंद्रित कार्य अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने ड्रॉप-आउट दर को शून्य करने का लक्ष्य भी साझा किया।

  • संयुक्त संचालक श्री गुप्ता ने मूल्यांकन रणनीतियों, पाठ्यक्रम अनुपालन और प्रशिक्षण योजनाओं पर जोर दिया।

  • स्वामी तनमय्यानंद ने नैतिक शिक्षा, जीवन कौशल और चरित्र निर्माण पर जोर देते हुए स्कूल शिक्षा में आध्यात्मिक मूल्यों के समावेश की बात कही।

प्रस्तुत सुझाव एवं अनुशंसाएं:

  1. स्थानीय स्तर पर कार्य योजना: जिलों व विकासखंडों द्वारा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप वार्षिक कार्ययोजना तैयार कर विद्यालयों में शीघ्र पहुंचाना।

  2. निगरानी तंत्र: जिला और विकासखंड स्तर पर विशेष मॉनिटरिंग टीम का गठन कर प्रगति रिपोर्टिंग।

  3. तकनीक का उपयोग: डिजिटल कक्षाएं, ऑनलाइन लर्निंग और प्रगति ट्रैकर हेतु विशेष शिक्षक प्रशिक्षण।

  4. मूल्यांकन सुधार: त्रैमासिक मूल्यांकन, वैकल्पिक परीक्षाएं और कक्षा-वार फीडबैक प्रणाली।

  5. शिक्षक प्रशिक्षण: मास्टर ट्रेनर मॉडल व सह-शिक्षक मेंटरशिप के माध्यम से निरंतर प्रशिक्षण।

  6. ड्रॉप-आउट रोकथाम: संवेदनशील परिवारों के लिए विशेष शैक्षिक पहल।

  7. शैक्षिक संसाधन: प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय और गतिविधि किट के माध्यम से प्रभावी शिक्षण।

  8. समावेशी शिक्षा: विशेष आवश्यकता वाले छात्रों हेतु अनुकूल रणनीतियां व संसाधन।

आगे की कार्यवाही:

यह तय किया गया कि कार्यशाला में प्रस्तुत सभी अनुशंसाओं को संबंधित विभागों को निर्देशित कर कार्य योजनाओं में रूपांतरित किया जाएगा। साथ ही, शिक्षक प्रशिक्षण, मॉनिटरिंग व संसाधन उपलब्धता सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया जाएगा।

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