PM मोदी पहुंचे ब्राजील, BRICS सम्मेलन में आतंकवाद और अमेरिकी टैरिफ पर उठाएंगे मुद्दा

रियो डी जेनेरियो, 6 जुलाई 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील के रियो डी जेनेरियो पहुंच गए हैं। यह उनकी पांच देशों की राजनयिक यात्रा का चौथा पड़ाव है, जो 2 जुलाई को घाना से शुरू हुई थी। वे त्रिनिदाद और टोबैगो तथा अर्जेंटीना होते हुए अब ब्राजील पहुंचे हैं, जहां से वे नामीबिया के लिए रवाना होंगे।

इस साल का BRICS सम्मेलन खास है क्योंकि इसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल नहीं हो रहे हैं। इसके बावजूद सम्मेलन का एजेंडा काफी अहम है, जिसमें आतंकवाद, वैश्विक व्यापार, जलवायु वित्त, स्वास्थ्य और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे मुद्दे शामिल हैं।

आतंकवाद पर भारत की सख्ती

प्रधानमंत्री मोदी BRICS मंच पर आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की योजना में हैं। उम्मीद है कि सम्मेलन के अंत में जारी होने वाले संयुक्त घोषणापत्र में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की स्पष्ट निंदा की जाएगी। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।

भारत ने इसके जवाब में 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था, जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया।


अमेरिका के टैरिफ पर निंदा संभव

ब्रिक्स सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए व्यापार शुल्कों (टैरिफ) की भी चर्चा होगी। सम्मेलन के मसौदा बयान में इन शुल्कों को “एकतरफा और वैश्विक व्यापार के लिए हानिकारक” बताया गया है। हालांकि मसौदे में अमेरिका या राष्ट्रपति ट्रंप का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन सम्मेलन के दौरान अंतिम बयान में परिवर्तन की संभावना जताई गई है।

अन्य प्रमुख मुद्दे:

  • जलवायु वित्त: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आर्थिक सहयोग पर जोर।

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता: AI के क्षेत्र में सामूहिक अनुसंधान और तकनीकी विकास।

  • स्वास्थ्य क्षेत्र में समानता: विकासशील देशों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की पहल।

  • राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार: भारत डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए BRICS देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं में व्यापार का समर्थन कर रहा है।

ब्रिक्स समूह वर्तमान में वैश्विक आबादी का आधा और वैश्विक GDP का लगभग 40 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में इस शिखर सम्मेलन से निकलने वाले फैसलों का वैश्विक असर होना तय माना जा रहा है।

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