तेहरान
ईरान और इज़रायल के बीच हाल ही में समाप्त हुए 12 दिवसीय युद्ध के बाद शनिवार को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली होसेनी खामेनेई पहली बार सार्वजनिक रूप से नजर आए। उन्होंने आशूरा की पूर्व संध्या पर आयोजित एक शोकसभा में भाग लिया। इस दौरान वे तेहरान स्थित एक मस्जिद में पहुंचे, जहां उन्हें सरकारी टेलीविजन पर नारे लगाती भीड़ का अभिवादन स्वीकार करते हुए दिखाया गया।
युद्ध के दौरान खामेनेई की अनुपस्थिति को लेकर अटकलें तेज थीं कि वे किसी सुरक्षा बंकर में छिपे हुए हैं, हालांकि सरकारी मीडिया ने इस पर कोई पुष्टि नहीं की थी। अब उनका सार्वजनिक रूप से सामने आना देश और दुनिया को यह संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है कि वे सुरक्षित हैं और नेतृत्व सक्रिय है।
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और भारी सुरक्षा व्यवस्था देखी गई। आमतौर पर ऐसे कार्यक्रमों में संसद के अध्यक्ष और अन्य शीर्ष नेता भी मौजूद रहते हैं।
ट्रंप की चेतावनी और ईरान का जवाब
गौरतलब है कि युद्ध के दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर बमबारी करने के बाद सोशल मीडिया के माध्यम से खामेनेई को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि अमेरिका जानता है कि ईरान के सर्वोच्च नेता कहां हैं, लेकिन उन्हें मारने की कोई योजना नहीं है।
इसके जवाब में, 26 जून को युद्धविराम लागू होने के तुरंत बाद, खामेनेई ने एक कड़ा बयान देते हुए कहा कि ईरान ने कतर में स्थित अमेरिकी एयरबेस पर हमला कर "अमेरिका के चेहरे पर तमाचा मारा है।"
इस पूरे घटनाक्रम को अमेरिका, ईरान और इज़रायल के बीच तनावपूर्ण भू-राजनीतिक समीकरणों के संदर्भ में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि खामेनेई की यह सार्वजनिक उपस्थिति घरेलू मोर्चे पर जनता को आश्वस्त करने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कड़ा संदेश देने की रणनीति का हिस्सा है।