राजीव गांधी पीजी महाविद्यालय में हुआ लाखों रुपयों का गबन, राजीव गांधी पीजी महाविद्यालय में जॉइन करते ही प्राचार्य/अपर संचालक डॉ. एस.एस अग्रवाल एक्शन मोड में

 ◆ पीजी कॉलेज में हुआ लाखों रुपयों का गबन , जांच एवं कार्रवाई की मांग।

◆ गैर राजनीतिक दल आजाद सेवा संघ ने शासकीय पैसे गबन का पूर्ण प्रकरण सौंपा अपर संचालक के         नाम।

◆ "जांच कर जल्द दोषियों पर होगी कार्रवाही" - प्राचार्य/अपर संचालक से डॉ. एस.एस अग्रवाल।

    

18 जनवरी को प्राचार्य एवं अपर संचालक डॉ. एस.एस अग्रवाल राजीव गांधी पीजी कॉलेज में जॉइन करने के साथ ही एक्शन मोड में दिखे। जहां महाविद्यालय के कार्यों को गति देते हुआ शिकायतों को भी सुने एवं उनके निराकरण हेतु जल्द कार्रवाई भी की। वहीं गैर राजनीतिक दल आजाद सेवा संघ ने डॉ. एस.एस अग्रवाल का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। साथ ही पूर्व में हुए महाविद्यालय के शासकीय पैसे के गबन का पूर्ण प्रकरण बताते हुए ज्ञापन भी सौंपा। संघ प्रदेश सचिव रचित मिश्रा एवं संघ छात्र मोर्चा जिला अध्यक्ष प्रतीक गुप्ता की उपस्थिति में ज्ञापन सौंपा गया जिसमें पूर्ण प्रकरण को बताया गया -

यूजी एवं पीजी के छात्रों का प्रवेश नवम्बर माह में ऑनलाइन माध्यम से हो रहा था। जहां बहुत से छात्र स्वयं से फॉर्म भरने एवं शुल्क भुगतान किए, तो वहीं बहुत से छात्र चॉइस सेंटर से फॉर्म भरवाने के साथ शुल्क भुगतान किया एवं फार्म की हार्ड कॉपी महाविद्यालय के विभागों में जमा किए। परंतु महाविद्यालय के पास के (प्रिंस ऑनलाइन सेंटर) द्वारा बहुत से छात्रों के साथ धोखाधड़ी किया गया।

उस ऑनलाइन सेंटर द्वारा छात्रों के प्रवेश फार्म भरने के पश्चात उनसे पैसे लेने के बाद महाविद्यालय के खाते में ₹1 भुगतान कर अथवा प्रवेश शुल्क से बहुत कम रुपयों का भुगतान कर छात्रों को नकली रसीद दिया गया। परंतु जब हार्ड कॉपी महाविद्यालय में छात्रों द्वारा जमा किया गया तो महाविद्यालय के किसी भी विभाग द्वारा इसका पुनः जांच नहीं किया गया एवं प्रवेश स्वीकार लिया गया। छात्रों के साथ हुई धोखाधड़ी का मामला दिसंबर माह में सामने आया जहां छात्रों द्वारा छात्रवृत्ति का फॉर्म भरने के पश्चात महाविद्यालय में महाविद्यालय की रसीद के साथ जमा किया जा रहा था। जहां बहुत से छात्रों का यह शिकायत सामने आया की उन्होंने पूरा पैसा दिया था उसके बाद भी महाविद्यालय में उनका मात्र एक रुपए या उनका फॉर्म भरने के बाद पैसा ही नहीं जमा किया गया है एवं वे सभी छात्र "प्रिंस ऑनलाइन सेंटर" से ही फार्म भरवाए थे।

छात्रों द्वारा आवेदन के माध्यम से इसकी सूचना महाविद्यालय के प्राचार्य को दी गयी। एवं उनके द्वारा यह पुष्टि करने की मांग की गई कि ऐसे जितने छात्र हैं जिनका पूरी तरह शुल्क भुगतान नहीं किया गया उनका जांचकर लिस्ट निकाला जाए। इसके बाद महाविद्यालय द्वारा छात्रों का लिस्ट जारी किया गया जिसमें 70 से 75 छात्र थे जो की आधी-अधूरी लिस्ट थी। एवं लिस्ट से बाहर के ऐसे छात्र थे जिनका पैसा भुगतान नहीं हुआ था परंतु इसका वेरीफाई नही हो सकता था। इसके बाद इस ऑनलाइन सेंटर द्वारा सभी मामले को स्वीकारते हुए छात्रों का पुनः भुगतान किया गया जिसके बाद यह सामने आया की न्यूनतम डेढ़ लाख रूपयों का गबन उसके द्वारा किया गया था। जांच के पश्चात इससे अधिक रुपये भी हो सकते हैं। परंतु बड़ी बात यह है कि छात्रों का प्रवेश होने के पश्चात भी महाविद्यालय के लाखों रूपयों के गबन होने की सूचना महाविद्यालय को जब मिली तो उसके बाद प्रिंस ऑनलाइन सेंटर पर महाविद्यालय द्वारा कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं करवाया गया। ऐसे बहुत से छात्र हैं जिनके साथ इस प्रकार का धोखाधड़ी हुआ है परन्तु कुछ भी महाविद्यालय की ओर से पारदर्शी नही है। यहां तक कि अन्य चॉइस सेंटर द्वारा भी इस प्रकार पैसा गबन किया जा रहा है।

जिमसें पीजी कॉलेज के सामने स्थित "महामाया ऑनलाइन सेंटर" है जिसके द्वारा बहुत से छात्रों के साथ धोखाधड़ी किया गया है। इस मामले को भली-भांति जानते हुए भी महाविद्यालय कानूनी कार्रवाई करवाने के अपेक्षा छात्रों को पुनः भुगतान हेतु कॉल के ज़रिए सूचना दे रहा है।

जिस पर संघ ने मांग किया कि इस पूरे प्रकरण को अपने संज्ञान में लेकर पुनः जांच कर कार्रवाई करें। जिसपर आश्वासन देते हुए कहा गया कि जल्द से जल्द इसपर जांच की जाएगी एवं दोषियों पर कार्रवाई भी होगी।

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