📰 समाचार रिपोर्ट |
📅 अंबिकापुर,
📍 सरगुजा, छत्तीसगढ़
🚨 शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तकरण से जुड़ी अनियमितताओं की जांच को लेकर प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग
सरगुजा जिले में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से जुड़े अनियमितताओं की जांच अब नए मोड़ पर पहुंच गई है। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (अल्पसंख्यक विभाग) के प्रदेश महासचिव परवेज आलम गांधी ने संयुक्त संचालक, लोक शिक्षा सरगुजा संभाग को पत्र लिखकर तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार सिन्हा और सहायक ग्रेड–02 बृजकिशोर तिवारी को जांच पूरी होने तक अन्यत्र पदस्थ करने की मांग की है।
📌 जांच की निष्पक्षता पर उठे सवाल
गांधी ने अपने पत्र में लिखा है कि यदि जांच के दौरान संबंधित अधिकारी और कर्मचारी उसी पद पर बने रहते हैं तो निष्पक्ष जांच संभव नहीं होगी और दस्तावेज़ों के साथ छेड़छाड़ की आशंका बनी रहेगी।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पूर्व में बृजकिशोर तिवारी को निलंबित किया गया था, फिर भी वे वर्तमान में उसी पद पर कार्यरत हैं।
“पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि जांच पूरी होने तक दोनों अधिकारियों को अन्यत्र पदस्थ किया जाए।” — परवेज आलम गांधी
🧩 युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया क्या है?
युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य शालाओं और शिक्षकों का पुनर्गठन करना था, लेकिन स्थानीय स्तर पर पदस्थापन में अनियमितता, प्रभावशाली हस्तक्षेप और सूचियों में हेरफेर के आरोप लगे हैं।
इस मामले में शिक्षकों के स्थानांतरण, रिक्त पदों की अदला-बदली और प्रशासनिक आदेशों को लेकर शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
🗣️ स्थानीय प्रतिक्रिया और प्रशासनिक दबाव
यह मुद्दा शिक्षा जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। शिक्षक संघों, राजनीतिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी जांच की पारदर्शिता को लेकर प्रशासन से स्पष्ट रुख की मांग की है।
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि संयुक्त संचालक लोक शिक्षा इस मांग पर क्या निर्णय लेते हैं और जांच प्रक्रिया को किस दिशा में आगे बढ़ाया जाता है।
📍 यह मामला न केवल प्रशासनिक जवाबदेही से जुड़ा है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की साख और सार्वजनिक विश्वास पर भी असर डालता है। पारदर्शिता की मांग के बीच शासन से अपेक्षा की जा रही है कि वह जल्द ही स्पष्ट और प्रभावी कदम उठाए।


