बिरला ओपन माइंड स्कूल में किताब-यूनिफॉर्म की मनमानी उजागर, ₹1 लाख जुर्माना और मान्यता रद्द की चेतावनी

बिरला ओपन माइंड स्कूल में किताब-यूनिफॉर्म की मनमानी उजागर, ₹1 लाख जुर्माना और मान्यता रद्द की चेतावनी

 

📰 समाचार रिपोर्ट | 📅 अंबिकापुर,

📍 सरगवां, जिला सरगुजा


📚 शिक्षा के नाम पर शोषण, स्कूल प्रबंधन पर जिला शिक्षा अधिकारी की सख्त कार्रवाई

सरगुजा जिले के प्रतिष्ठित बिरला ओपन माइंड स्कूल, सरगवां में किताबों और यूनिफॉर्म की मनमानी को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत पहुंची।
शिकायत (पंजीयन क्रमांक – PMOPG/E/2025/006407) पर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा की गई जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

                                                                                                     


                                                                 

💸 SCERT/NCERT की मुफ्त किताबें नहीं दी गईं, निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें थोपने का आरोप

  • नर्सरी से आठवीं तक सभी कक्षाओं में निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें लागू की गईं।
  • नर्सरी की किताबों का सेट ₹2,946, जबकि कक्षा आठवीं तक ₹7,578 तक की कीमत वसूली गई।
  • 24 पन्नों की वर्कबुक ₹650 में बेची गई, जो अनुचित लाभ की संलिप्तता को दर्शाता है।

👕 यूनिफॉर्म और सामग्री पर भी एकतरफा नियम

  • नर्सरी से यूकेजी तक यूनिफॉर्म सेट ₹4,300,
    कक्षा 1 से 6 तक लड़कियों के लिए ₹3,100,
    लड़कों के लिए ₹3,000,
    कक्षा 7 तक का सेट ₹3,700 तय किया गया।
  • सभी सामग्री केवल ‘किताब घर’, भट्ठी रोड, केदारपुर से ही लेने का अनिवार्य नियम बनाया गया।

⚖️ जांच रिपोर्ट और कार्रवाई

  • जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में लिखा कि यह अनुचित लाभ प्राप्त करने की संलिप्तता है।
  • पूर्व में कारण बताओ नोटिस भी जारी हुआ था, जिसका उत्तर संतोषजनक नहीं रहा।
  • जिला शिक्षा अधिकारी अंबिकापुर ने ₹1 लाख का आर्थिक दंड अधिरोपित किया है।
  • स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि भविष्य में पुनरावृत्ति होने पर विद्यालय की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।

🗣️ अभिभावकों की प्रतिक्रिया और शिक्षा विभाग का संदेश

  • अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूल शिक्षा के नाम पर कारोबार कर रहे हैं।
  • किताब और यूनिफॉर्म के बंधन से अभिभावकों का शोषण हो रहा है।
  • शिक्षा विभाग की कार्रवाई से अन्य विद्यालयों को भी सख्त संदेश गया है।

📍 यह मामला शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और अभिभावकों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

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