📰 समाचार रिपोर्ट |
📅 रायपुर,
📍 छत्तीसगढ़
🗣️ पत्रकारवार्ता में उठे राजनीतिक सवाल, भाजपा और आरएसएस की भूमिका पर तीखा विश्लेषण
5 अक्टूबर को आयोजित पत्रकारवार्ता में राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए।
इस संवाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वर्तमान शासन व्यवस्था, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ उसके संबंध, और लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्थिति पर विस्तृत चर्चा की गई।
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा की नीतियाँ संवैधानिक मूल्यों को कमजोर कर रही हैं और सामाजिक समरसता को प्रभावित कर रही हैं।
⚖️ संविधान, न्यायपालिका और लोकतंत्र की स्वतंत्रता पर चिंता
- पत्रकारवार्ता में यह कहा गया कि लोकतंत्र की आत्मा को संस्थागत हस्तक्षेप और राजनीतिक दबाव से खतरा है।
- न्यायपालिका, मीडिया और शैक्षणिक संस्थानों की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए गए, साथ ही संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता को बचाने की अपील की गई।
🧠 आरएसएस की विचारधारा और भाजपा की नीतियों के बीच संबंधों पर आलोचना
- वक्ताओं ने कहा कि आरएसएस की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की विचारधारा को भाजपा शासन में नीतिगत रूप दिया जा रहा है।
- इससे धार्मिक अल्पसंख्यकों, वंचित वर्गों और विविधता आधारित लोकतंत्र को नुकसान पहुंच रहा है।
- सामाजिक ध्रुवीकरण, घृणा अपराध, और संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक लाभ लेने के प्रयासों की भी आलोचना की गई।
📢 राजनीतिक नेतृत्व पर सवाल, जनहित बनाम दलहित की बहस
- पत्रकारवार्ता में विभिन्न राजनीतिक नेताओं की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए गए।
- यह कहा गया कि जनता के मुद्दों की बजाय दलगत राजनीति और छवि निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है।
- लोकतंत्र की मजबूती के लिए जन संवाद, विचारों की स्वतंत्रता और संस्थागत पारदर्शिता को अनिवार्य बताया गया।
- इस संवाद और विश्लेषण की प्रामाणिक जानकारी श्री अनूप मेहता द्वारा प्रस्तुत की गई।यह संवाद न केवल वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य की समीक्षा है, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा और सामाजिक समरसता की पुनर्स्थापना की दिशा में एक चिंतनशील पहल भी है।
