📰 समाचार रिपोर्ट |📅 अंबिकापुर,
📍 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सुखरी, जिला सरगुजा
🚨 सड़क दुर्घटना में घायल बालक को नहीं मिला समय पर इलाज, फार्मासिस्ट ने दवा देने से किया इनकार
सरगुजा जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सुखरी में स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था का दर्दनाक उदाहरण सामने आया है।
सुदामा पांडेय का गंभीर रूप से घायल पुत्र जब इलाज के लिए केंद्र पहुंचा, तो फार्मासिस्ट सुरेश गुप्ता ने सभी दवाइयों को ताले में बंद कर चाभी अपने साथ ले गया।
🗣️ परिजनों को मिली धमकी, दवा देने से किया साफ इनकार
व्याकुल पिता ने जब फोन पर दवा की मांग की, तो फार्मासिस्ट ने न केवल मदद से इनकार किया बल्कि धमकी भरे लहजे में कहा:
“मैं आज दवाई नहीं दूंगा, तीन दिन बाद दवाई मिलेगा… जो करना है कर लो।”
घायल बच्चा दर्द से तड़पता रहा, लेकिन स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका रहा।
❌ इंसाफ की जगह अपमान, तड़प और लापरवाही
- पीड़ित परिवार को न तो इलाज मिला, न संवेदनशीलता, बल्कि धमकी और अपमान झेलना पड़ा।
- स्थानीय लोगों ने इस घटना को स्वास्थ्य विभाग की गंभीर विफलता बताया है।
🤔 प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल
- यह मामला सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को उजागर करता है।
- “डबल इंजन सरकार” के दावों के बीच जनता को राहत की बजाय तड़प और अपमान मिल रहा है।
📍 अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाता है।सुनिए पीड़ित पक्ष और फार्मासिस्ट सुरेश गुप्ता के बीच का कन्वर्सेशन👇🏻